सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की तरफ से बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की एंट्री को गैर-संवैधानिक बताया गया है. कपिल सिब्बल की तरफ से दलील पेश की गई कि पुराने कानून के तहत बोर्ड में सभी मुस्लिम होते थे. हिन्दू और सिख बोर्ड में भी सभी सदस्य हिन्दू और सिख ही होते हैं. नए वक्फ संशोधित अधिनियम में विशेष सदस्यों के नाम पर गैर मुस्लिमों को जगह दी गई है. ये नया कानून अधिकारों का सीधा उल्लंघन है.